What Does Shodashi Mean?

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The murti, that is also witnessed by devotees as ‘Maa Kali’ presides in excess of the temple, and stands in its sanctum sanctorum.  In this article, she is worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a way of Local community and spiritual solidarity amongst devotees. During these functions, the collective Power and devotion are palpable, as individuals have interaction in numerous varieties of worship and celebration.

This mantra is an invocation to Tripura Sundari, the deity becoming resolved On this mantra. This is a ask for for her to satisfy all auspicious wishes and bestow blessings on the practitioner.

The Saptamatrika worship is especially emphasised for people looking for powers of Handle and rule, along with for the people aspiring to spiritual liberation.

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे

दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।

Sati was reborn as Parvati towards the mountain king Himavat and his wife. There was a rival of gods named Tarakasura who might be slain only with the son Shiva and Parvati.

Around the fifth auspicious working day of Navaratri, the Lalita Panchami is celebrated as being the legends say this was the working day once the Goddess emerged from fire to get rid of the demon Bhandasura.

Shodashi’s influence promotes instinct, helping devotees obtain their interior knowledge and produce trust in their instincts. Chanting her mantra strengthens intuitive skills, guiding people today towards decisions aligned with their maximum very good.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती read more है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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